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शिव सेना हिंदुस्तान के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पवन गुप्ता जी छात्र जीवन के शुरुआती दिनों से ही हिंदुत्व की भावना से प्रेरित थे। उनके बचपन के शुरुआती शिक्षा उत्तर प्रदेश के उस समय के जिला देवरिया तथा वर्तमान में जिला कुशीनगर तहसील तमकुहीराज गांव परसौनी बुजुर्ग के छोटे से गांव के स्कूल से हुई परंतु वे अपने पिताजी के साथ बचपन में ही पंजाब आ गए और उनकी शिक्षा दोबारा से नर्सरी से एक सिख धर्म गुरुद्वारे के प्रबंध के अधीन चलने वाले स्कूल भाई राम कृष्ण गुरमत मॉडल स्कूल नजदीक टीवी हॉस्पिटल शेरा वाला गेट से आठवीं कक्षा तक हुई। उन दिनों हिंदू नेता श्री पवन शर्मा एवं लुधियाना से हिंदू नेता श्री जगदीश टांगरी जी का पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ जोरदार हिंदुत्व के प्रहरी के रूप में आंदोलन चल रहा था। इन आंदोलनों से श्री पवन गुप्ता जी का छात्र जीवन बहुत प्रभावित हुआ और आठवीं कक्षा से ही हिंदुत्ववादी संगठनों से प्रभावित होकर इनमें काम करने लग गए। आठवीं कक्षा की शिक्षा बोर्ड द्वारा पहली पोजीशन में पास करके उस समय मल्टी पर्वज हाई स्कूल में दाखिला लिया, और छात्रों की मदद करने के लिए एक सोसाइटी का गठन किया परंतु खालिस्तानी आतंकवाद का जोर ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन के रूप में सभी कॉलेजों और स्कूलों में जोरदार था इसका प्रभाव मल्टीपरपज स्कूल में भी बहुत जोर से था जिसका श्री पवन गुप्ता जी ने हिंदूवादी संगठनों के सहयोग से जोरदार रूप से विरोध किया। उस समय देश के प्रधानमंत्री स्वर्गवासी श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या होने पर मल्टीपरपज स्कूल में ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन की हुल्लड़ बाजी का जोरदार विरोध इनके द्वारा किया गया जो उस समय खतरे से खाली नहीं था। शिव सेना हिंदुस्तान के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान पवन गुप्ता जी जब खालिस्तानी आतंकवाद की आंधी चल रही थी तब विशेष बात श्री पवन गुप्ता जी उस समय किसी हिंदू बहुल इलाके में नहीं रह कर सिख बहुल क्षेत्र अलीपुर राइया गांव के पास रहते थे। जहां आबादी सिखों की बहुत ज्यादा थी इसके बावजूद भी निडर होकर हमेशा हिंदुत्व की बात कहने का और काम करने का साहस तब भी किया था जब मौत सिर पर मंडराती रहती थी। तब हिंदू संगठन जिस का संचालन श्री जगदीश तागड़ी जी(लुधियाना)से करते थे। उनके संगठन में (हिंदू शिवसेना) के जिला अध्यक्ष के रूप में पटियाला से 16 17 वर्ष की उम्र में शामिल हो गए थे। श्री पवन गुप्ता जी के जीवन पर हिंदुओं के सबसे जुझारू नेता श्री पवन शर्मा जी जो हिंदू सुरक्षा समिति के अध्यक्ष थे उनका भी काफी प्रभाव रहा और उनसे भी गौरवशाली प्रेरणा मिली।
अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने पटियाला में अपने हिंदू संगठन हिंदू शिवसेना को चुनौती के रूप में पटियाला में स्थापित किया जबकि पटियाला हिंदू सुरक्षा समिति के श्री पवन शर्मा जी का बहुत मजबूत गढ़ था।
श्री पवन गुप्ता जी ने अपने हिंदुत्ववादी सफर में अनेकों चुनौतियों का सामना किया तथा अनेकों ऐसे आंदोलन किए जो पंजाब के हिंदुओं के लिए प्रेरणादायक रहे। अपने राजनीतिक सफर में हिंदुत्व के उस प्रकार योद्धा के साथ काम किया जिसके ऊपर सभी हिंदुओं को नाज रहा। परम आदरणीय शेर ए हिंद श्री बालासाहेब ठाकरे जी के नेतृत्व में काफी वर्षों तक अत्यंत निकट रूप से श्री पवन गुप्ता जी को शिव सेना पंजाब के अध्यक्ष के रूप में काम करने का अवसर प्राप्त रहा। इस कार्यकाल के दौरान श्री बाला साहब ठाकरे जी के अत्यंत निकट रह कर संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया कुछ समय खालिस्तानी आतंकवाद से लोहा लेने के कारण ही जब प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में चुनाव हो रहे थे तो कोई भी शिवसेना का नेतृत्व करने को तैयार नहीं हो रहा था उस समय श्री पवन गुप्ता जी ने खुद आगे आकर नेतृत्व करने की चुनौती को स्वीकार किया। जिसे बाद में बाला साहब ठाकरे में सराहना करते हुए अपनी स्वीकृति प्रदान की। पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह की हत्या होने पर जब सभी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियां बंद हो गई थी तब पटियाला में आतंकवाद विरोधी रैली कर इस राजनीतिक चुपी को तोड़ने की चुनौती का काम श्री पवन गुप्ता जी ने किया और उस समय मुंबई के सांसद श्री मोहन रावले विष्णु को पटियाला लाकर अपने नेतृत्व की मजबूती का परिचय दिया।
पंजाब में केवल 1984 दंगा पीड़ितों की बात होती थी सभी राजनीतिक दल उनकी मदद करने की बात करते थे परंतु पंजाब में35000 हिंदू आतंकवाद पीड़ितों के पक्ष में एक जबरदस्त आंदोलन(धर्म युद्ध मोर्चा) श्री काली माता मंदिर पटियाला से चलाकर उस समय के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को मजबूर कर दिया कि वह 35000 हिंदू आतंकवाद पीड़ितों को मुआवजा दें। आज हर हिंदू संगठन 35000 आतंकवाद पीड़ितों को न्याय देने की बात पर आंदोलन कर रहा है। विधानसभा 2022 के चुनाव में भाजपा ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसको शामिल किया।
श्री पवन गुप्ता जी ने बालासाहेब ठाकरे के शिवसेना के क्षेत्रवाद नीतियों के खिलाफ और मराठा वाद के नाम से उत्तर भारतीयों हिंदुओं के साथ मारपीट के विरोध में उन्हें चुनौती देते हुए 30 मार्च 2003 को शिवसेना को छोड़ते हुए राष्ट्रीय स्तर पर शिव सेना हिंदुस्तान का गठन किया। आज शिवसेना हिंदुस्तान देश के 18 प्रदेशों में कार्यरत है। देश में धार्मिक सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में शिव सेना हिंदुस्तान पूरी तरह सक्रिय रुप से उनके नेतृत्व में कार्य कर रही है…. राजनीतिक क्षेत्र में शिव सेना हिंदुस्तान की राजनीतिक शाखा हिंदुस्तान शक्ति सेना जो चुनाव आयोग से पंजीकृत राजनीतिक दल है वह कार्यरत है

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